निश्चय ही अनित्य वस्तुओं से नित्य वस्तु को प्राप्त नहीं किया जा सकता।
4.
हमारे धर्मग्रंथों और गुरुओं ने ज्ञान को नित्य वस्तु माना है, ज्ञान सद्रूप है और सद्वस्तु होने के कारण वह नित्य है।
5.
बुद्धिमान आदमी अपने लिए अनित्य वस्तु पसंद करने के बजाय नित्य वस्तु पसंद करेगा, असत् वस्तु पसंद करने के बजाय सत् वस्तु पसंद करेगा।
6.
नुष्य बाहरी वस्तुओं के पीछे दौडते फिरते हैं, जिससे व्याप्त मृत्यु के पाश में बंध जाते हैं, लेकिन ज्ञानी पुरुष अमृत्व को जानकर अनित्य वस्तुओं में नित्य वस्तु की खोज नहीं करते ।
7.
मगर ब्रह्मसूत्रों (2 । 2 । 18-26) का हवाला दे के उनने यह भी लिखा है कि ' आत्मा या ब्रह्म में से कोई भी नित्य वस्तु जगत के मूल में नहीं है।